Wednesday , May 8 2024
9th Hindi NCERT CBSE Books

धर्म की आड़ 9th Class (CBSE) Hindi Sparsh Ch 7

धर्म की आड़ 9th Class (CBSE) Hindi

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए:

प्रश्न: आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?

उत्तर: आज धर्म के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उन्हें ठगा जा रहा है और दंगे फसाद भी हो रहे हैं।

प्रश्न: धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?

उत्तर: धर्म के व्यापार को रोकने के लिए दृढ़ विश्वास और विरोधियों के प्रति साहस से काम लेना चाहिए। कुछ लोग धुर्तता से काम लेते हैं, उनसे बचना चाहिए और बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न: लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन सा दिन बुरा था?

उत्तर: लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का वह दिन सबसे बुरा था जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में खिलाफत, मुल्ला मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया। इस प्रकार स्वाधीनता आंदोलन ने एक कदम और पीछे कर लिया जिसका फल आज तक भुगतना पड़ रहा है।

प्रश्न: साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

उत्तर: साधारण आदमी धर्म के नाम पर उबल पड़ता है, चाहे उसे धर्म के तत्वों का पता न हो क्योंकि उनको यह पता है कि धर्म की रक्षा पर प्राण तक दे देना चाहिए।

प्रश्न: धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

उत्तर: शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के स्पषट चिह्न हैं।

धर्म की आड़ – निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (25 – 30 शब्दों में) लिखिए:

प्रश्न: चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

उत्तर: चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मुर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। साधारण लोग धर्म का सही अर्थ और उसके तत्वों को समझ नहीं पाते और उनकी इस अज्ञानता का लाभ चालाक लोग उठा लेते हैं। उन्हें आपस में ही लड़ाते रहते हैं।

प्रश्न: चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?

उत्तर: चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म भीरूता, अज्ञानता का लाभ उठाते हैं। साधारण आदमी उनके बहकावे में आ जाते हैं। चालाक आदमी उसे जिधर चाहे उसे मोड़ देता है और अपना काम निकाल लेता है। साथ ही उस पर अपना प्रभुत्व भी जमा लेता है।

प्रश्न: आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा?

उत्तर: आने वाला समय दिखावे वाले धर्म को नहीं टिकने देगा। नमाज पढ़ना, शंख बजाना, नाक दबाना यह धर्म नहीं है, शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के लक्षण हैं। पूजा के ढ़ोंग का धर्म आगे नहीं टिक पाएगा। ऐसी पूजा तो ईश्वर को रिश्वत की तरह होती है।

प्रश्न: कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाएगा?

उत्तर: हमारा देश स्वाधीन है। इसमें अपने-अपने धर्म को अपने ढ़ँग से मनाने की पूरी स्वतंत्रता है। यदि कोई इसमें रोड़ा बनता है अथवा टाँग अड़ाता है तो वह कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाएगा।

प्रश्न: पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?

उत्तर: पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन के बीच गहरी खाई है। वहाँ धनी लोग निर्धन को चूसना चाहते हैं। उनसे पूरा काम लेकर ही वह धनी हुए हैं। वे धन का लोभ दिखाकर उन्हें अपने वश में कर लेते हैं और मनमाने तरीके से काम लेते हैं। धनियों के पास पूरी सुविधाएँ होती हैं पर गरीब के पास केवल खाने-रहने का मामूली साधन होता है।

प्रश्न: कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?

उत्तर: जो लोग खुद को धार्मिक कहते हैं परन्तु उनका आचरण, व्यवहार अच्छा नहीं है। उनसे वे लोग अच्छे हैं जो नास्तिक हैं, धर्म को बहुत जटिलता से नहीं मानते परन्तु आचरण और व्यवहार में बहुत अच्छे हैं। दुसरों के सुख-दुख का मान रहता है, मदद करते हैं और सीधे सज्जन या अज्ञान लोगों को मूर्ख नहीं बनाते हैं।

धर्म की आड़ – निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50 – 60 शब्दों में) लिखिए:

प्रश्न: धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?

उत्तर: चालाक लोग धर्म और ईमान के नाम पर सामान्य लोगों को बहला फुसला कर उनका शोषण करते हैं तथा अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हैं। वे धर्म के नाम पर दंगे फसाद कराते हैं, लोगों को दूसरे लोगों से लड़ाते हैं, लोगों की शक्ति का दुरूपयोग करते हैं। इस प्रकार धर्म की आड़ में एक व्यापार जैसा चल रहा है। इसे रोकना अतिआवश्यक है। इसके लिए लोगों को धर्म के अर्थ और तत्वों को सही तरह समझाना व उन्हें जागरूक करना आवश्यक है। लोगों को शिक्षित करके साहस और दृढ़ता से धर्म गुरूओं की पोल खोलनी चाहिए।

प्रश्न: ‘बुद्धि पर मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

उत्तर: ‘बुद्धि पर मार’ का अर्थ है बुद्धि पर पर्दा डालकर उनके सोचने समझने की शक्ति को काबू में करना। लेखक का विचार है कि विदेश में धन की मार है तो भारत में बुद्धि की मार। यहाँ बुद्धि को भ्रमित किया जाता है। जो स्थान ईश्वर और आत्मा का है, वह अपने लिए ले लिया जाता है। फिर इन्हीं नामों अर्थात धर्म, ईश्वर, ईमान, आत्मा के नाम पर अपने स्वार्थ की सिद्धी के लिए आपस में लड़ाया जाता है।

प्रश्न: लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

उत्तर: लेखक की दृष्टि में धर्म का निजी मामला होता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने अनुसार धर्म को मानता है और उसे इसकी छूट भी होनी चाहिए। उसके अनुसार शंख, घंटा बजाना, ज़ोर-ज़ोर से नमाज़ पढ़ना ही केवल धर्म नहीं है। शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं। यदि पूजा पाठ करने के साथ ये नहीं हैं तो धर्म नहीं है। बिना पूजा किए भी यदि ये व्यवहार हैं तो वह व्यक्ति धार्मिक कहलाने योग्य है।

प्रश्न: महात्मा गाँधी के धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: महात्मा गाँधी अपने जीवन में धर्म को महत्वपूर्ण स्थान देते थे। वे सर्वत्र धर्म का पालन करते थे। धर्म के बिना एक पग भी चलने को तैयार नहीं होते थे। उनके धर्म के स्वरूप को समझना आवश्यक है। धर्म से महात्मा गांधी का मतलब, धर्म ऊँचे और उदार तत्वों का ही हुआ करता है। वे धर्म की कट्टरता के विरोधी थे। प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह धर्म के स्वरूप को भलि-भाँति समझ ले।

प्रश्न: सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

उत्तर: सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब हम खुद को ही नहीं सुधारेंगे, दूसरों के साथ अपना व्यवहार सही नहीं रखेंगे तब तक दूसरों से क्या आशा रख सकते हैं। यदि हम धार्मिक बनेंगे अर्थात अपना व्यवहार अच्छा, सदाचार पूर्ण रखेंगे तो दूसरों को समझाना भी आसान हो जाएगा और धर्म का सही अर्थ प्रस्तुत किया जा सकेगा।

प्रश्न: उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए:

  1. सुगम – दुर्गम
  2. धर्म – ……….
  3. ईमान – ……….
  4. साधारण – ……….
  5. स्वार्थ – ……….
  6. दुरूपयोग – ……….
  7. नियंत्रित – ……….
  8. स्वाधीनता – ……….

उत्तर:

  1. सुगम – दुर्गम
  2. धर्म – अधर्म
  3. ईमान – बेईमान
  4. साधारण – असाधारण
  5. स्वार्थ – निस्वार्थ
  6. दुरूपयोग – सदुपयोग
  7. नियंत्रित – अनियंत्रित
  8. स्वाधीनता – पराधीनता

प्रश्न: निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए:
ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर

उत्तर:

ला: लाइलाज, लापरवाह
बिला: बिला वजह
बे: बेजान, बेकार
बद: बददिमाग, बदमिज़ाज़
ना: नाकाम, नाहक
खुश: खुशनसीब, खुशगवार
हर: हरएक, हरदम
गैर: गैरज़िम्मेदार, गैर कानूनी

प्रश्न: उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए:
उदाहरण : देव + त्व =देवत्व

उत्तर:

  1. उत्तरदायी + त्व = उत्तरदायित्व
  2. महा + त्व = महत्व
  3. पशु + त्व = पशुत्व
  4. लघु + त्व = लघुत्व
  5. व्यक्ति + त्व = व्यक्तित्व
  6. मनुष्य + त्व = मनुष्यत्व

प्रश्न: निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए:
उदाहरण: चलते-पुरज़े

उत्तर:

  1. समझता – बूझना
  2. छोटे – बड़े
  3. पूजा – पाठ
  4. कटे – फटे
  5. ठीक – ठाक
  6. खट्टे – मीठे
  7. गिने – चुने
  8. लाल – पीले
  9. जले – भुने
  10. ईमान – धर्म
  11. स्वार्थ – सिद्धी
  12. नित्य – प्रति

Check Also

हिंदी

10 CBSE Hindi First Term Exam 2023-24: N.K. Bagrodia School

School Name: N. K. Bagrodia Public School, Sector 9, Rohini, New Delhi 110085 India Class: …