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हमारा राष्ट्रीय पक्षी: मोर पर निबंध - Hindi Essay on National Bird Peacock

हमारा राष्ट्रीय पक्षी: मोर पर निबंध – Hindi Essay on National Bird Peacock

मोर हमारे जंगल का अत्यन्त सुन्दर, चौकन्ना, शर्मीला और चतुर पक्षी है। भारत सरकार ने 1963 में जनवरी के अन्तिम सप्ताह में इसे राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। सौन्दर्य का यह मूर्त रूप भारत में जनसाधारण को भी प्रिय है।

कवि कालिदास ने भी (छठी शताब्दी) इसे उस जमाने में राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया था। देवी-देवताओं से सम्बन्ध होने के कारण हिन्दू समाज इसे दिव्य पक्षी मानता है। जो सम्मान गौ को दिया जाता है, वही मोर को भी देते हैं। इसी भावना से ओतप्रोत होकर कोई भी हिन्दू उसका वध नहीं करता। मोर देवताओं के सेनापति और शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन है।

मोर जब मस्त होकर नाचता है तो अपनी पूंछ को उठाकर पंखे की तरह फैला लेता है। मोर के शरीर में कई रंगों तथा उनकी छायाओं का अद्‌भुत सम्मिश्रण होता है। गले और छाती का रंग नीला होता है। गरदन की नीलिमा के कारण संस्कृत में कवियों ने उसे ‘नीलकण्ड’ नाम दिया।

सारे शरीर की खूबसूरती के मुकाबले मोर की टांगे बदसूरत होती है। इस विषय में एक लोक कथा प्रसिद्ध है। किस्सा यह था कि मैना को किसी की शादी में जाना था उसे अपने बदसूरत पैरों का ध्यान आया।

वह मोर के पास गई और बोली मामा मुझे तनिक शादी मैं जाना है अपनी टाँगे बदल लो तो मैं शादी में चली जाऊं। मोर ने मैना की बात मान ली। बाद में मैना ने उसकी टाँगे वापिस नहीं की। मोर को तब से इस बात का मलाल रहता है।

मोर प्राय: वर्षा ऋतु में नृत्य करते हैं। बहुत दूर की आवाज को यह सुन लेता है। गर्मी में मोर सुस्त पड़ जाते हैं। मोर साँपों को मारकर खाता है। इसलिए संस्कृत में मोर को ‘भुजंगभुक’ कहते हैं। लेकिन यह मनुष्य को किसी तरह की हानि नहीं पहुंचाता। मोर टमाटर, घास, अमरूद, केला, अफीम की फसल के कोमल अंकुर, हरी और लाल मिर्च चाव से खाता है।

जंगल में मोर, मानव के समक्ष नहीं नाचता। कहा जाता है, नाचते समय मोर इतना बेसुध हो जाता है, कि दुश्मन उसे आसानी से पकड़ लेते हैं। यह चौकन्ना और डरपोक पक्षी है, यदि कोई इसके पास चला जाए तो यह झाड़ियों में तेजी से भाग जाता है।

मोर के सौन्दर्य से प्रभावित होकर शाहजहां ने एक मयूरासन बनवाया। मोर को फारसी में ‘ताऊस’ कहते हैं। इसलिए उसने अपने सिंहासन का नाम ‘तख्त ए ताऊस’ रखा। वह बेशकीमती जवाहरातों से लगभग सात साल में बनकर तैयार हुआ।

अफगान लुटेरा नादिरशाह इसे लूटकर ईरान ले गया। एक मयूरासन और भी है, जिसका सम्बन्ध योग से है। यह मयूरासन पेट के रोगों को दूर करता है। देवी-देवताओं के मन्दिर में मोर पंख चढ़ाए जाते हैं। सजावट के लिए मोर पंखों की मांग रहती है।

गुलदानों में इन्हें सजाया जाता है। पंखों को वृत्ताकार बनाकर उनके पंखे बनाए जाते हैं, जो गर्मियों में हवा करने के काम आते हैं। जादू-टोनों में इसका प्रयोग होता है। बुरी-नजर से बचाने के लिए मोर पंखों से बच्चों को हवा करते हैं और उसके गले में बांधते हैं।

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