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Hindi Grammar

संधि: Joining of Letters – Hindi Grammar for Students and Children

(5.) सकार और तवर्ग का शकार और चवर्ग के योग में शकार और चवर्ग तथा षकार और टवर्ग के योग में षकार और टवर्ग हो जाता है। जैसे:

स् + श रामस् + शेते = रामश्शेते
त् + च सत् + चित् = सच्चित्
त् + छ महत् + छात्र = महच्छत्र
त् + ण महत् + णकार = महण्णकार
ष् + त द्रष् +ता =द्रष्टा
त् + ट बृहत् + टिट्टिभ = बृहटिट्टिभ

(6.) यदि वर्गों के अन्तिम वर्णों को छोड़ शेष वर्णों के बाद ‘ह’ आये, तो ‘ह’ पूर्ववर्ण के वर्ग का चतुर्थ वर्ण हो जाता है और ‘ह्’ के पूर्ववाला वर्ण अपने वर्ग का तृतीय वर्ण। जैसे:

उत् + हत = उद्धत
उत् + हार = उद्धार
वाक् + हरि = वाग्घरि

(7.) हस्व स्वर के बाद ‘छ’ हो, तो ‘छ’ के पहले ‘च्’ जुड़ जाता है। दीर्घ स्वर के बाद ‘छ’ होने पर यह विकल्प से होता है। जैसे:

परि+छेद =परिच्छेद
शाला +छादन =शालाच्छादन

(3.) विसर्ग संधि (Combination Of Visarga)

विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन मेल से जो विकार होता है, उसे ‘विसर्ग संधि’ कहते है।

दूसरे शब्दों में: स्वर और व्यंजन के मेल से विसर्ग में जो विसर्ग होता है, उसे ‘विसर्ग संधि’ कहते है। कुछ नियम इस प्रकार हैं:

(1.) यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ आये और उसके बाद वर्ग का तृतीय, चतुर्थ या पंचम वर्ण आये या य, र, ल, व, ह रहे तो विसर्ग का ‘उ’ हो जाता है और यह ‘उ’ पूर्ववर्ती ‘अ’ से मिलकर गुणसन्धि द्वारा ‘ओ’ हो जाता है। जैसे:

मनः + रथ = मनोरथ
सरः + ज = सरोज
मनः + भाव = मनोभाव
पयः + द = पयोद
मनः + विकार = मनोविकार
पयः + धर = पयोधर
मनः + हर = मनोहर
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
यशः + धरा = यशोधरा
सरः + वर = सरोवर
तेजः + मय = तेजोमय
यशः + दा = यशोदा
पुरः + हित = पुरोहित
मनः + योग = मनोयोग

(2.) यदि विसर्ग के पहले इकार या उकार आये और विसर्ग के बाद का वर्ण क, ख, प, फ हो, तो विसर्ग का ष् हो जाता है। जैसे:

निः + कपट = निष्कपट
निः + फल = निष्फल

निः + पाप = निष्पाप
दुः + कर = दुष्कर

(3.) यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ हो और परे क, ख, प, फ मे से कोइ वर्ण हो, तो विसर्ग ज्यों-का-त्यों रहता है। जैसे:

प्रातः + काल = प्रातःकाल
पयः + पान = पयःपान

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